इस लेख में हम मासिक धर्म के संबंध में बहुत सी जानकरी प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। जैसे मासिक धर्म क्या है, मासिक चक्र क्या है, मासिक चक्र क्या क्या अवस्थाएँ हैं आदि। इसलिए पूरा लेख पढ़ना बहुत ही लाभदायक होगा।
मासिक धर्म ( Period )
मासिक धर्म को माहवारी, रजोधर्म या मासिक चक्र भी कहा जाता है। अन्ग्रेजी में इसे मेंस्ट्रुअल साईकल या एम0 सी0 (Mens- trual Cycle or M.C), पेरियड (Period ) कहते हैं। यह स्त्रियो में होने वाली एक प्राकृतिक घटना है। माहवारी के दौरान रक्त गर्भा- शय से योनि के मार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकलता है। लड़कियों में माहवारी प्राय: 11 से 14 वर्ष की आयु में आरम्भ हो जाता है जोकि यौवन अवस्था आरम्भ होने का एक संकेत है। लड़कियों के जीवन का सबसे पहला मासिक धर्म को मेनार्च (Menarche) कहा जाता है।
जब लड़कियाँ यौवन अवस्था में पहुँचती है तो अंडाशय से हार्मोन विशेष रूपसे एस्ट्रोजन हार्मोन निकलना शुरु होता है जीस से कि मासिक धर्म आरंभ होता है और साथ ही स्तनों का विकास होता है। मस्तिष्क में मौजूद प्युटीटरी ग्रंथि ( Pituitary gland ) द्वारा गोनैडोट्रोपीन हार्मोन ( FSH = Follicle Stim- ulating Hormone और LH = Luteinizing Hormone ) का स्राव होता है। यह गोनैडोट्रोपिन हार्मोन हर महीने अंडाशय से एक पूर्ण विकसित अण्डा निकाल कर इसे गर्भाशय की ओर ले जाता है। अब यदि अण्डा शुक्राणु द्वारा निषेचित हो जाता है तो गर्भ रुक जाता है अन्यथा लगभग 14 दिनो के बाद गाढ़ा रक्त के रूप में योनि के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। यह पूरी प्रक्रिया मासिक धर्म कहलाता है। मासिक धर्म प्राय: 3 से 5 दिनो तक चलता है।
मासिक चक्र क्या है
मासिक चक्र की लम्बाई 28 दिनों का का होता है। मासिक चक्र सभी महिलाओं में एक जैसा नहीं होता है। मासिक चक्र की लम्बाई, मेनार्च (सबसे पहली मासिक धर्म ) और रजोनिवृत्ति (मेनो- पॉज अर्थात् सबसे आखिर का मासिक धर्म ) के बीच घटती बढ़ती रहती है। इसलिए मासिक चक्र की लम्बाई 24 से 35 दिनों तक का हो सकता है।
मासिक चक्र की कौन कौन सी अवस्थाएँ होती हैं
मासिक चक्र मुखय रूप से चार अवस्थाओं में सम्पन्न होता है।
(i). मेंस्ट्रुएशन (Mensturation):- यह मासिक चक्र का सबसे प्रथम अवस्था है। इस अवस्था में रक्त, म्युकस और गर्भाशय के परत की कोशिकाओं से मिलकर बनी द्रव्य योनि के द्वारा बाहर निकलता है।यह अवस्था प्राय: 2 से 5 दिनो का होता है।
(ii). फालिक्युलर अवस्था:- यह अवस्था मासिक चक्र के पहले दिन से आरंभ होकर ओवुलेशन ( Ovulation ) "अर्थात् अण्डा- शय से एक परिपक्व अण्डे का बाहर निकलने" , तक रहता है। इसी अवस्था में गर्भाशय की परत फिर से बनने लगता है।
(iii). अंडोत्सर्ग (Ovulation):- इस अवस्था में मुख्यतः अण्डा- शय से अण्डा निकलता है जो कि फैलोपीयन ट्यूब से होकर जाती है और गर्भाशय (Uterus) की दीवार से जाकर चिपक जाती है। यह अवस्था मासिक धर्म आरम्भ होने के लगभग दो सप्ताह पहले अर्थात् मासिक चक्र के ठीक बीचो-बीच होता है। अब यदि इस अवस्था में, अण्डाणु के सम्पर्क में कोई शुक्राणु 24 घंटे के भीतर आती में तो वह अण्डाणु , शुक्राणु द्वारा निषेचित हो जाती है अन्यथा यह नष्ट होकर रक्त, म्युकस और टूटे हुए गर्भाशय परत से मिलकर बनी द्रव्य के साथ बाहर आ जाती है।
(iv). ल्युटील अवस्था ( पीतपिण्ड अवस्था ) :- यह अवस्था अंडोत्सर्ग (Ovulation) और नये मासिक चक्रके बीच होता है। इस अवस्था में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है।
प्रोजेस्टेरोन हार्मोन गर्भाशय की परत की मोटाई को उचित रूप में बनाए रखता है, ताकि निषेचित अण्डे को उचित मात्रा में पोषण मिल सके और अगर अण्डा निषेचित नहीं हो सका तो प्रोजेस्टेरोन लेवल घट जाती है; गर्भाशय की परत टूटने लगती है और मासिक द्रव के साथ बाहर निकल जाती है।
रजोनीवृत्ति ( Menopause ) किया है
महिलाओं में जब मासिक धर्म आना बन्द हो जाता है तो उसे " रजोनीवृत्ति ( Menopause ) " कहा जाता है। रजोनीवृत्ति महिलाओं में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह 45 से 50 वर्ष की आयु के महिलाओं में होता है। रजोनीवृत्ति के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का बनना कम हो जाता है। रजोनीवृत्ति की अवस्था एकदम से नहीं आता है। इसके आने से पूर्व कुछ लक्षण देखा जा सकता है, जैसे मासिक चक्र में अनियमितता, शारीर में गर्मी महसूस होना , मूड का बदलना , नींद कम आना, चिड़चिड़ापन, योनि में सुखापन, संभोग के दौरान दर्दहोना आदि।
मासिक धर्म के दौरान दर्द का होना
कभी-कभी मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में दर्द और ऐंठन महसूस होने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि मासिक धर्म के दौरान में हार्मोन (प्रोजेस्टेरोन हार्मोन) का उत्पादन होता है। जिस कारण गर्भाशय में संकुचन होता है ताकि गर्भाशय की टूटी हुइ परत बाहर निकल सके। इसी संकुचन के कारण दर्द और ऐंठन महसूस होता है।
मासिक धर्म के दौरान दर्द को कम करने के उपाय
मासिक धर्म के दौरान हल्की-फुल्की दर्द का होना बहुत ही साधारण सी बात है। कुछ उपायों का प्रयोग कर इस से छुटकारा पा सकते हैं। जैसे पेट और पीठ के निचले भाग में मालिश करना, गर्म पैड का प्रयोग करना,अज्वाईन का प्रयोग करना आदि। इसकेअलावे कुछ ओ0 टी0 सी0(OTC = Over The Counter )दर्द निवारक दवाई (अर्थात् जिस दवाई के लिये प्रेसकैपशन की आवशकता नहीं हो ) , जैसे पैरासिटामोल या आईबोप्रोफेन का प्रयोग किया जा सकता है। परन्तु डा0 की सलाह से दवाई का प्रयोग करना उचित रहता है।